Sunday, August 22, 2010

कितनी हसीं ये तेरी मुस्कराहट है

है हवा की तेरे आने की आदत है
बड़ी     देर से दिल में घबराहट है

तेरे आने का भरम देती   है   हर पल
आज पत्तों में बड़ी तेज़ सरसराहट है

सारा माहोल पल में बदल देती है
कितनी हसीं ये तेरी मुस्कराहट है

वो गया तो कभी लौट कर नहीं आया
कितनी मायूस देखो घर की चोखट है

अब न चल पाऊँगा एक कदम आगे
मेरे पैर्रों में बड़ी जोर की थकावट है

हम मिले थे जहाँ राधा और श्याम बन कर
ये  वादियाँ   है  वही   ये  वही यमुना तट है

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